दोस्तों, कई सारे लोगो का सवाल है की DNS KYA HOTA HAI और फिर आज के इस बढ़ते समय में सबसे ज्यादा विकास टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ही हुआ है और फिर देखते देखते ही ना सिर्फ भारत ने बल्कि संपूर्ण दुनिया ने ही टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत विकास कर लिया है और आगे भी टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है जिसको देखते हुए हम यह कह सकते हैं कि एक समय आने पर हम सब टेक्नोलॉजी पर ही आधारित हो जाएंगे।
इस भर्ती टेक्नोलॉजी के समय में हर किसी के पास स्मार्टफोन या लैपटॉप मौजूद है या फिर हम ऐसे भी कह सकते हैं कि हर कोई इंटरनेट से जुड़ा हुआ है और अगर हम कुछ समय पहले की बात करें तो जब इंटरनेट पर वेबसाइट बनाई जाती थी तो उन वेबसाइट को खोजने के लिए हमको उन वेबसाइट का आईपी एड्रेस मालूम होना चाहिए था।
लेकिन जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित हुई तो इस कठिन कार्य को भी आसान बना दिया गया और आईपी ऐड्रेस की जगह पर अब हम किसी भी वेबसाइट को उसके नाम से खोज सकते हैं और इसको ही हम Domain कहते हैं लेकिन अब सवाल आता है कि डी एन एस क्या होता है।
अगर आपके मन में भी यह सवाल आता है कि आखिर d&s क्या होता है तो आज हम आपको अपने लेख की सहायता से डीएनए से जुड़ी हर एक जानकारी आपके साथ सांझा करेंगे और आपको डीएनए से क्या होता है इसके बारे में भी संपूर्ण जानकारी देंगे जिससे आपके मन के सारे सवाल समाप्त हो जाएंगे।
Table Of Contents
DNS Ka Full Form?
DNS KYA HOTA HAI यह जानने से पहले आपको पता होना चाहिए कि डी एन एस का फुल फॉर्म क्या होता है अगर आपको यह नहीं पता है तो मैं आपको बता दूं कि डीएनए डोमेन नेम सिस्टम का एक शॉर्ट फॉर्म है और हम डोमेन नेम सिस्टम को आसान बनाने के लिए डीएनए शब्द का उपयोग करते हैं।
DNS KYA HOTA HAI?

अब आप यह तो समझ गए होंगे की DNS FULL FORM KYA HOTA HAI लेकिन आप अभी भी सोच रहे होंगे की DNS KYA HOTA HAI तो मैं आपको बता दूं की यह एक प्रकार का नाम होता है जिसका उपयोग वेबसाइट को खोजने के लिए होता है लेकिन आपको बता दे की कुछ समय पहले जब DNS की खोज नही हुई थी तब हम किसी वेबसाइट को खोजने के लिए उस वेबसाइट के IP ADDRESS को सर्च करते है।
लेकिन जैसे जैसे टेक्नोलॉजी में विकास हुआ तो इस कार्य को भी आसान बना दिया गया और DNS ( DOMAIN NAME SYSTEM ) का विकास हुआ जिसका मुख्य कार्य किसी वेबसाइट के DOMAIN NAME को IP ADDRESS में परिवर्तित करना है।
अगर हम आसान भाषा में कहे तो जब हम कोई वेबसाइट बनाते है तो उसके लिए हमको एक WEBSITE NAME की जरूरत होती है जिससे कोई भी आसानी से वेबसाइट तक पहुंच सके तो इसीलिए DOMAIN NAME को हम खरीदते है और अपनी वेबसाइट को DOMAIN NAME से कनेक्ट करते है।
इस करने से जब हम किसी ब्राउजर में वेबसाइट का नाम यानी की DOMAIN NAME सर्च करते है तो यह DOMAIN नेम IP ADDRESS में बदलकर हमको उस वेबसाइट तक पहुंचा देता है।
DNS (DOMAIN NAME SYSTEM) की खोज?
IP ADDRESS को मानव भाषा में बदलने के लिए Paul Mockapetris नामक वैज्ञानिक ने 1980 में DNS ( DOMAIN NAME SYSTEM ) की खोज की है, इस खोज से पहले अगर हमको किसी वेबसाइट पर जाना होता था तो हमको उस वेबसाइट का IP ADDRESS याद करना होता था लेकिन इस खोज के बाद हम किसी भी वेबसाइट के नाम से उस वेबसाइट तक पहुंच सकते है।
DNS के प्रकार? (DNS KE PRAKAR)
आप यह तो समझ ही गए होंगे की DNS KYA HOTA HAI लेकिन अब आपको बता दे की इसको समझने के लिए आपको पता होना चाहिए की इसके कितने प्रकार होते है तो आपको बता दे की इसके निम्नलिखित प्रकार है –
1: DNS RESOLVER
इस तरह के DNS को प्राप्त करने के लिए हक्को ISP (internet service provider) की जरूरत पड़ती है।
2: ROOT NAME SERVER
इस तरह के DNS को सम्पूर्ण दुनिया में इस्तेमाल किया जाता है और इसको 12 अलग अलग आर्गेनाइजेशन के जरिए कंट्रोल किया जाता है।
3: TLD NAME SERVER
इस तरह के सर्वर में दुनिया के सभी डोमेन नेम की सभी जानकारी स्टोर या सुरक्षित रहती है।
4: Authoritative name server
इसका मुख्य कार्य वेबसाइट का IP ADDRESS स्टोर करने का होता है।
DOMAIN NAME और IP ADDRESS में अंतर?
आप यह तो समझ गए होंगे की DNS KYA HOTA HAI लेकिन अब आपके मन मे यह सवाल आ रहा होगा की DOMAIN और IP ADDRESS में क्या अंतर होता है तो आपको बता दे की DOMAIN NAME किसी नाम पर आधारित रहता है जिसको याद रखना भी आसान रहता है और IP ADDRESS किसी नंबर पर निर्भर करता है जिसको याद रख पाना बहुत मुश्किल होता है जिस वजह से ही DNS की खोज हुई।
DNS के फायदे?
आपने जब DNS KYA HOTA HAI यह पढ़ा होगा तो आप यह जरूर सोच रहे होंगे की इसके क्या क्या फायदे है तो आपको बता दे की इसके निम्नलिखित फायदे है –
- DNS की सहायता से हम इंटरनेट पर बहुत सरलता से सर्फिंग कर सकते है।
- इसकी सहायता से हमको किसी IP ADDRESS को याद रखने की जरूरत नही पड़ती।
- यह बहुत सुरक्षित भी होता है और हम यह भी कह सकते है की यह एक हाई लेवल की सिक्योरिटी प्रदान करता है।
- अगर हमको किसी वेबसाइट पर बार बार पहुंचना है तो हम वेबसाइट के सरल नाम को ही याद रखकर वेबसाइट पर पहुंच सकते है।